
पाकिस्तान को IMF से $1 बिलियन की मदद
IMF का PAK को $1 Billion का Loan : भारत की चुप्पी के पीछे की असली वजह”
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Toggleहाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को $1 बिलियन का लोन प्रदान किया है। यह सहायता पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता के लिए दी गई है, जो कि IMF के $7 बिलियन के विस्तारित फंड सुविधा (EFF) कार्यक्रम का हिस्सा है।
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भारत का विरोध और चिंता
भारत ने इस लोन के खिलाफ अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। भारत का मानना है कि पाकिस्तान को दी गई IMF की वित्तीय सहायता का दुरुपयोग हो सकता है, विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद के समर्थन में। भारत ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान का IMF कार्यक्रमों के साथ पिछला रिकॉर्ड खराब रहा है, और उसने पहले भी इन फंड्स का सही उपयोग नहीं किया है।
IMF की वोटिंग प्रक्रिया
IMF की कार्यकारी बोर्ड में 25 निदेशक होते हैं, जो सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। IMF की वोटिंग प्रणाली में औपचारिक “नहीं” वोट की अनुमति नहीं है। निदेशक या तो पक्ष में वोट कर सकते हैं या मतदान से अनुपस्थित रह सकते हैं।
भारत ने क्यों नहीं किया ‘नहीं’ में वोट
IMF की वोटिंग प्रणाली में “नहीं” में वोट करने का प्रावधान नहीं है। इसलिए, भारत ने मतदान से अनुपस्थित रहकर अपनी असहमति व्यक्त की। यह एक कूटनीतिक तरीका है, जिससे भारत ने IMF की प्रक्रियाओं के भीतर रहते हुए अपनी आपत्ति दर्ज कराई।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और IMF की भूमिका
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्तमान में गंभीर संकट से गुजर रही है। विदेशी कर्ज $131 बिलियन से अधिक है, और विदेशी मुद्रा भंडार केवल तीन महीनों के आयात को कवर कर सकता है। IMF की सहायता पाकिस्तान के लिए एक आर्थिक जीवन रेखा है, लेकिन इसके साथ ही यह सहायता अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के लिए जोखिम भी पैदा करती है।
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भारत की आपत्तियाँ और वैश्विक संस्थाओं पर प्रभाव
भारत ने IMF को चेतावनी दी है कि पाकिस्तान को दी गई सहायता का दुरुपयोग आतंकवाद के समर्थन में हो सकता है, जिससे वैश्विक संस्थाओं की प्रतिष्ठा को खतरा है। भारत ने यह भी कहा है कि ऐसे समर्थन से अंतर्राष्ट्रीय मानदंड कमजोर होते हैं।
भारत क्यों नहीं कर पाया वोट?
भारत ने हाल ही में पाकिस्तान को ऋण स्वीकृत करने के लिए IMF में हुए मतदान में भाग नहीं लिया, ऐसा विरोध की कमी के कारण नहीं, बल्कि इसलिए किया क्योंकि आईएमएफ के नियमों के तहत औपचारिक रूप से “नहीं” वोट की अनुमति नहीं है।
मतदान में भाग न लेकर भारत ने IMF की मतदान प्रणाली की सीमाओं के भीतर अपनी असहमति व्यक्त की और इस अवसर का उपयोग औपचारिक रूप से अपनी आपत्तियों को दर्ज करने के लिए किया।
भारत ने IMF की वर्तमान सहायता की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पाकिस्तान को पिछले 35 वर्षों में से 28 वर्षों में सहायता मिली है, जिनमें से पिछले पांच वर्षों में केवल चार कार्यक्रम ऐसे थे जिनमें कोई सार्थक या स्थायी सुधार नहीं हुआ।
भारत ने आर्थिक मामलों में पाकिस्तानी सेना के निरंतर प्रभुत्व को जोरदार ढंग से उजागर किया, जो पारदर्शिता, नागरिक निगरानी और स्थायी सुधार को कमजोर करता है।
भारत ने ऐसे देश को धन मुहैया कराने का कड़ा विरोध किया जो सीमापार आतंकवाद को प्रायोजित करता रहता है। भारत ने चेतावनी दी कि इस तरह के समर्थन से वैश्विक संस्थाओं की प्रतिष्ठा को खतरा होता है और अंतरराष्ट्रीय मानदंड कमजोर होते हैं।
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